धर्मपाल शोधपीठ

भोपाल में धर्मपाल शोधपीठ की स्थापना मध्यप्रदेश सरकार ने 2009 में की है। यह पीठ सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत कार्य करती है। धर्मपालजी भारत में जन्में बीसवीं सदी के ऐसे अध्ययनशील चिंतक और शोधकर्ता थे, जिन्होंने 18वीं और 19वीं शताब्दी के भारत के विषय में अनुसंधान किया। कैसे एक समृद्ध, सुसंस्कृत और हुनरमंद देश को अंग्रेजों ने तोड़ा। उसकी शिक्षा, खेती, तकनीकी और कारीगरी को मनमाने ढंग से बर्बाद किया।


इस समूची परिस्थिति का विश्लेषण करने और फिर इस पराधीनता से छूटने की राह निकालने के लिए धर्मपालजी ने उस समय के दस्तावेजों का गंभीर अध्ययन किया और जो निष्कर्ष निकाले वे प्रमुखतः अंग्रेजी में और बाद में हिन्दी में अनुवादित पुस्तकों के रूप में प्रकाशित हुए हैं।

धर्मपालजी के समर्पण और निष्ठा को आदर देते हुए धर्मपाल शोधपीठ आजादी के पहले और बाद के भारत की संस्कृति, परम्परा और जीवन प्रणालियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयत्नशील है। यह शोधपीठ भारत के स्वाधीनता संग्राम, स्वराज्य के आदर्श और उसके इतिहास के अध्ययन और अनुशीलन को प्रोत्साहित करती है। व्याख्यान, संगोष्ठियाँ, दस्तावेजों का संग्रह, शोध के लिए फैलोशिप और समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन भी करती है।